नई दिल्ली। सीबीआई ने ‘मिनी रत्न’ कंपनी कामराजार पोर्ट लिमिटेड केपीएल के दो महाप्रबंधकों के खिलाफ रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया है। इन महाप्रबंधकों पर 55 करोड़ रूपये की बकाया राशि हासिल करने में कथित तौर पर एक निजी ठेकेदार कंपनी का पक्ष लेने का आरोप है।
केपीएल एक ऐसे मॉडल पर काम करती है जिसमें यह समग्र योजना, निकर्षण और समुद्री सेवाएं देती है लेकिन माल ढुलाई टर्मिनल को मुख्य रूप से सरकारी-निजी साझेदारी में निर्माण, संचालन और हस्तांतरित बीओटी करने के आधार पर विकसित किया गया है।
सीबीआई की एफआईआर में दावा किया गया है कि केपीएल तमिलनाडु बिजली बोर्ड टीएनईबी के लिए कोयला आपूर्ति का काम करता है जबकि बाकी काम बीओटी ऑपरेटरों द्वारा संभाला जाता है।
इसमें कहा गया कि चेट्टीनाड इंटरनेशनल कोल टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड सीआईसीटीपीएल को 2010 में गैर टीएनईबी कोयला टर्मिनल के लिए राजस्व हिस्सेदारी आधार पर एक बीओटी ऑपरेटर के काम का ठेका दिया गया।
एफआईआर में कहा गया कि सीआईसीटीपीएल ने जबसे संचालन शुरू किया तबसे केपीएल को पूर्ण राजस्व हिस्सेदारी का भुगतान नहीं किया।
इसमें कहा गया कि लाइसेंस करार के कथित उल्लंघन में सीआईसीटीपीएल संवर्धन शुल्क कटौती के बाद राजस्व हिस्सेदारी का भुगतान कर रहा है।
जब केपीएल द्वारा पूर्ण राजस्व की मांग की गई तो सीआईसीटीपीएल ने विवाद निस्तारण तंत्र का सहारा लिया लेकिन इसके तहत गठित विशेषज्ञ समिति ने उसके दावों को खारिज कर दिया।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि संवर्धन शुल्क के हिस्से वाला राजस्व 31 जुलाई 2012 को 17.21 करोड़ रूपये था। उसने आरोप लगाया, ‘‘विश्वसनीय सूचना से खुलासा हुआ कि संजय कुमार और गुनाशेखर दोनों केपीएल में महाप्रबंधक ने मेसर्स सीआईसीटीपीएल कंपनी के साथ साजिश रचकर सीआईसीटीपीएल की उपलब्ध बैंक गारंटी का उपयोग किए बिना 17.21 करोड़ रूपये की बकाया राशि हासिल करने में विफल रहे।’’ भाषा