बिचौलियों के कारण नहीं मिल पाता किसानों को लाभकारी मूल्य : राजनाथ

Samachar Jagat | Sunday, 19 Mar 2017 06:30:35 AM
Can not get due to middlemen, beneficial to farmers: Rajnath

हरियाणा। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मोदी सरकार किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाना चाहती है लेकिन बिचौलियों और कुछ अन्य कारणों से उन्हें कृषि उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

सिंह ने यहां हरियाणा की दूसरी एग्रीटेक लीडरशिप समिट को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि लागत अधिक होने, सिंचाई सुविधा की कमी, बाजारों में बिचौलियों की सक्रियता, देश की मंडियों में विभिन्न फसलों के मूल्यों की जानकारी का अभाव ,प्रसंस्करण एवं मूल्य संवद्र्धन के प्रति उदासीनता के कारण किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। उन्होंने कृषि उत्पादों के मूल्य निर्धारण की चर्चा करते हुए कहा कि किसानों को मूल्य निर्धारण की शक्ति होनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा संकट कृषि लागत मूल्य है जिसे सरकार तकनीक और अन्य प्रकार से घटाने का प्रयास कर रही है। उर्वरकों का रिकार्ड उत्पादन किया गया है और उनकी कीमतें कम हुयी है। करीब 20 हजार करोड की लागत से भसचाई सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है 2019 तक लगभग 76 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में भसचाई सुविधा विकसित की जा सकेगी। इसके साथ ही नदी जोड़ो अभियान भी शुरू किया गया है जिससे किसानों को सिंचाई प्राकृतिक आपदाओं से फसलों की हो रही क्षति और किसानों को इससे होने वाले नुकसान की चर्चा करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पुरानी फसल बीमा योजना के विकल्प के रूप में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लाया गया है जिसमें 92 से 95 प्रतिशत प्रीमियम राशि सरकार देती है। किसान अपनी फसलों को देश के किसी भी मंडी में बेचें इसके लिए ई नाम योजना को शुरू किया गया है और मार्च 2018 तक 585 मंडी इस योजना से जुड़ जायेंगे। 

सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक भी अब कहने लगे हैं कि कृषि क्षेत्र में विकास की संभावना समाप्त हो गयी है लेकिन उनका मानना है कि 21 वी सदी में कृषि‘सन राइभजग‘सेक्टर है। कृषि क्षेत्र से जुड़े डेयरी,मत्स्य पालन और पोल्ट्री के माध्यम से भी किसानों की आय में भारी वृद्धि की जा सकती है। देश विश्व में दूध उत्पादन में प्रथम स्थन पर है लेकिन सरकार इसके उत्पादन में और वृद्धि के लिए इस वर्ष 2000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की व्यापक संभावना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एसोचैम ने एक अध्ययन में कहा है कि इस क्षेत्र में 33 अरब डालर निवेश की संभावना है। सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विस्तार का प्रयास किया जा रही है और बजट में इसके लिए एक लाख 87 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

सिंह ने कहा कि दिल्ली से सटे होने के कारण हरियाणा के किसानों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के व्यापक बाजार का दोहन करना चाहिये और लोगों की मांग के अनुरूप फलों , सब्जियों और नकदी फसली की पैदावार लेनी चाहिये । उन्हें बाजार की मांग के अनुरूप कृषि के क्षेत्र की नवीनतम तकनीकों को अपनाना चाहिये।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प व्यक्त किया है और हरियाणा के किसानों इस सपने को साकार करना चाहिये। किसानों को यह समझना होगा कि कृषि लाभ का भी पेशा है । जागरूक किसान बाजार के मूड को समझता है और उसके अनुरूप वस्तुओं का मूल्य संवद्र्धन करता है। सिंह ने आजादी के बाद देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरियाणा और पंजाब की सराहना की। -(एजेंसी)



 

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