आपने नोटबंदी के बाद बैंकों को समाचारों के माध्यम से कई खबरें सुनी होंगी। लेकिन आज हम आप के लिए एक ऐसी खबर लेकर आए है जिसे पढ़कर आप चौंक जाएंगे।
यह खबर है मध्य प्रदेश के राज्य सहकारी बैंक के बारे में, जो कि दिवालिया होने के कगार पर है और इसके अंतर्गत आने वाले कई जिला सहकारी बैंक आते हैं। रिजर्व बैंक की सख्ती ने पूरे मध्य प्रदेश के लोगों व बैंकों की नींद उड़ा रखी है।
जानकारी के मुताबिक, इन बैंकों ने किसानों को जमकर लोन बांटा है, लेकिन यह वसूली करने में नाकामयाब रहे। इसी कारण से मध्य प्रदेश के कई बैंक धारा 11 की तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं। इन बैंकों द्वारा हजारों करोड़ों रुपए का ऋण अबतक वसूला नहीं जा सका। यही नहीं किसान भी अपना लोन चुकना नहीं चाहते। इसी कारण से बैंक ने अपनी ब्रांचों को जिला प्रशासन की सहायता से सख्ती से वसूली का निर्देश दिए हैं।
प्रदेश का यह जिला सहकारी बैंक 31 मार्च तक अपना कैपिटल टू रिस्क एसेट्स रेशियो (सीआरएआर) (अर्थात पूंजी से जोखिम संपत्ति अनुपात, पूंजी पर्याप्तता अनुपात) 9 प्रतिशत से ऊपर नहीं कर पाएगा। इन बैंकों के लाइसेंस भी रद्द किए जा सकते हैं। रिजर्व बैंक की चेतावनी के बाद ये बैंक हरकत में आए हैं।
खबरों को अनुसार, इन बैंकों ने किसानों को करीब 15 से 20 हजार करोड़ का ऋण आवंटित किया है। और यदि यह वसूली नहीं हो पाती है तो राज्य सरकार के 0 प्रतिशत पर ऋण देने वाली योजना पर सवाल खड़े हो जाएंगे। इस समय मध्य प्रदेश में ये बैंक कुल 33 जिलों में काम कर रहे हैं। अब इन के पर लाइसेंस के निरस्त होने की तलवार लटक रही है, क्योंकि इनकी सीआरएआर मात्र 1.5 प्रतिशत है।
अब इस बैंक को इसे 9 फीसदी के ऊपर लेकर जाना है, जो कि अब संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है। अकेले सतना में 50,000 हजार से ज्यादा के 24 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण की वसूली नहीं हो पाई है। इसलिए अब कई बैंक करो या मरो वाली स्थिति में हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कई बैंकों ने तो स्थानीय प्रशासन की मदद से सख्ती से ऋण वसूली का काम शुरू कर दिया है।