नई दिल्ली। सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया के वित्त वर्ष 2015-16 में 105 करोड़ रुपए का परिचालन लाभ दिखाने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा उठाए गए सवालों पर एयरलाइंस ने कहा कि उसने अपनी वित्तीय रिपोर्टिंग में मानक लेखा सिद्धांतों का पालन किया है।
कैग के महानिदेशक वी. कुरियन ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा था कि वास्तव एकल आधार पर एयर इंडिया ने अपनी रिपोर्टिंग में परिसंपत्ति अवमूल्यन तथा अन्य मदों के लिए प्रावधान नहीं किया था।
उन्होंने कहा था कि आधिकारिक अकाउंटेंटों तथा कैग दोनों इस बात पर सहमत है कि वास्तव में एयर इंडिया को पिछले वित्त वर्ष में 321.4 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
एयर इंडिया ने शुक्रवार देर रात भेजे एक बयान में कहा सरकारी ऑडिट के दौरान कुछ विसंगतियाँ बताई गई थीं। उन्होंने प्रमुख रूप से नौ बी-787 विमानों के अवमूल्य के लिए 306.43 करोड़ रुपए का प्रावधान नहीं करने का मुद्दा उठाया था। इन विमानों को चालू परिसंपत्ति की श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया गया था जिनका निस्तारण करने के लिए उन्हें रखा गया था।
बयान में कहा गया है कि मानक लेखा सिद्धांतों के अनुसार निस्तारण के लिए रखे गए चालू परिसंपत्तियों के अवमूल्यन के लिए प्रावधान नहीं किया जाता, सिर्फ स्थिर परिसंपत्तियों के लिए ही प्रावधान किया जाता है। एयर इंडिया के निदेशक मंडल ने (पिछला) वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले ही इन विमानों की बिक्री की मंजूरी दे दी थी और इसके लिए आदेश भी 31 मार्च 2016 से पहले मिल गया था। हालाँकि, वास्विक बिक्री चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैलेंसशीट की तारीख के बाद और वित्तीय रिपोर्ट पर हस्ताक्षर होने से हुई। उसने यह भी दावा किया है कि विमानों की बिक्री से उसे खरीद मूल्य की तुलना में ज्यादा पैसा मिला है।
बयान में यह भी कहा गया है कि यदि अवमूल्यन के पिछले वित्त वर्ष में प्रावधान कर दिया जाता तो वह राशि चालू वित्त वर्ष में परिसंपत्ति की बिक्री से होने वाले लाभ में जुड़ जाती जिसका फायदा एयरलाइंस को चालू वित्त वर्ष के वित्तीय आँकड़ों में मिल जाता।