जयपुर। योग गुरू बाबा रामदेव को आज कौन नहीं जानता। उन्होंने दुनियाभर में योग सिखाया। योग के साथ-साथ बाबा रामदेव ने एक बिजनेस भी शुरू किया। जिसमें उनकी कंपनी की हर एक चीज स्वदेशी है। पतंजलि आज देश की सबसे बड़ी स्वदेशी कंपनी के रूप में जानी जाती है। उन्होंने इस कंपनी की स्थापना साल 2006 में की।
मल्टीनेशनल कंपनियों के दौर में आज पतंजलि ने बड़ी-बड़ी कंपनियों को टक्कर दे रही है। कंपनी के अुनसार इनका रेवेन्यू 31 मार्च 2017 तक 10,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। रामदेव से जुड़ा एक बड़ा संदर्भ भ्रष्टाचार विरोध और पारदर्शिता का भी है। वे हमेशा इसकी वकालत करते रहे हैं। लेकिन एक हालिया मामला इस पारदर्शिता को संदेह में डालता दिखता है।
मामला महाराष्ट्र के नागपुर का है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस की सरकार ने रामदेव को फूड पार्क बनाने के लिए अगस्त 2016 में 230 एकड़ जमीन सरकारी रेट से 75 फीसदी कम रेट पर 66 साल के लिए अलॉट कर दी। सरकार के इस फैसले पर संदेह किया जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया को आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक रेट कम करने के फैसले पर तब के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बिजय कुमार ने लिखित में सवाल किया था। उन्होंने रेट कम करने के कारण पूछे थे। लेकिन उनके सवाल पूछने के तीन हफ्ते में ही उनका ट्रांसफर हो गया। ट्रांसफर उनके कार्यकाल के एक साल के अन्दर ही कर दिया गया जबकि अमूमन ट्रांसफर तीन साल बाद किया जाना था।
महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को ये जमीन एलॉट की है। इसके हेड खुद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस हैं। फडऩवीस का कहना है कि बिजय कुमार का ट्रांसफर एक रूटीन प्रोसेस है और जमीन की एलॉटमेंट बिड सिस्टम के हिसाब से हुई है जिसमें पूरी पारदर्शिता रखी गई है। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार इस ओपन बिड में पतंजलि बिड करने वाली अकेली कंपनी थी। अगर ये रिपोर्ट सही साबित होती है तो बाबा रामदेव को फंस सकते है।