नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण और सरकार के 15 साल से ज्यादा पुरानी कारों के परिचालन को बंद करने की कोशिशों के बीच विंटेज कार (पुराने जमाने की कार) के मालिकों और इससे जुड़े संगठनों का प्रयास है कि इन कारों को विरासत का दर्जा मिले ताकि इनका संरक्षण किया जा सके।
राजधानी के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में आज 51वीं वार्षिक स्टेट्समैन विंटेज एंड क्लासिक कार रैली का आयोजन हुआ। यह देश में आयोजित होने वाली सबसे पुरानी विंटेज कार रैलियों में से एक है। इस रैली की शुरूआत 1964 में हुई थी।
इस रैली की आयोजक कंपनी स्टेट्समैन लिमिटेड के विपणन प्रबंधक भूपिंदर सिंह ने रैली से इतर ‘भाषा’ से कहा, ‘‘हम सरकार से इन कारों (विंटेज) को विरासत कार (हेरिटेज कार) का दर्जा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि इन्हें अधिकरण के 15 साल से ज्यादा पुरानी कारों का परिचालन बंद करने के आदेश से राहत मिल सके। ये कारें भारत की विरासत हैं और इनका संरक्षण जरूरी है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘स्टेट्समैन ने 50 साल पहले इन कारों के संरक्षण की वजह से ही इस रैली की शुरूआत की थी। अन्यथा यह भारत से निर्यात होकर बाहर चली जातीं और इससे भारत की विरासत का नुकसान होता। हम इन कारों के मालिकों के साथ मिलकर सरकार से इन्हें विरासत कार का दर्जा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही अधिकरण को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि इन कारों के परिचालन को कुछ रियायत दी जाए ताकि इन्हें चालू हालात में रखा जा सके अन्यथा भारत की यह विरासत नष्ट हो जाएगी।’’
रैली के बारे में सिंह ने कहा कि इस बार हमारे पास राजस्थान से कोई भी विंटेज कार शामिल नहीं हो पाई है जिसकी वजह वहां पर भी एक ऐसी ही रैली का आयोजन होना है।
उन्होंने कहा कि इस बार सबसे दूर से चलकर कानपुर से एक कार रैली में शामिल हुई। यह 1920 की रॉल्स रॉयस है। यह तारिक इब्राहिम की कार है और उनके परिवार के पास यह कार पांच पीढिय़ों से है।
रैली में सबसे पुरानी कार 1914 की जॉन मॉरिस शामिल हुई है जो हैदराबाद के निजाम की थी। इसका रख-रखाव अब रेल संग्रहालय कर रहा है।
सिंह ने विंटेज कारों के रख-रखाव की समस्या पर कहा कि इन कारों के कारीगर और कलपुर्जे बहुत मुश्किल से मिलते हैं। कलपुर्जों को तो विशेष रूप से संबंधित कार कंपनियों से आयात कर लिया जाता है लेकिन कारीगरों की कमी है।
सिंह ने कहा कि यदि ‘स्किल इंडिया’ के तहत हम इन कारों के कारीगर तैयार करें तो ऐसे कारीगरों की विदेशों में भी बहुत मांग है। सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए।
रैली में 10-12 विंटेज दुपहिया वाहन भी शामिल हुए हैं और लोगों के बीच सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र नाथूराम गोडसे की वह कार है जिसका इस्तेमाल उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के बाद भागने के लिए किया था। इसका नाम ‘द किलर कार’ है। यह 1930 की ‘स्टड बेकर’ है। यह अब दिल्ली के लक्ष्मी नगर निवासी जावेद रहमान के पास है। भाषा