नोटबंदी की बात करें तो अभी संपूर्ण भारतीय बाजार इसकी चपेट में आ रखा है। गौरतलब है कि भारत के माननीय पीएम मोदी जी नें 8 नवंबर से 500-1000 रुपए के नोटो पर प्रतिबंध लगा दिया था। यानि की बाजार में 500-1000 के नोट नहीं चलेगें। इस फैसले के बाद रातो-रात सारे सेक्टर में इसका नकारात्मक प्रभाव देखनें को मिला। दलहन हो या शेयर बाजार सभी का कारोबार निचले स्तर पर है। वहीं बात करें ऑटो सेक्टर की तो इस सेक्टर में नोटबंदी का असर इतना देखनें को नहीं मिला है।
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कारो, दुपहिया वाहनों के शोरुम में जरुर ग्राहकों की कमी देखी जा सकती है लेकिन इसका मामूली असर ही इस सेक्टर पर देखनें को मिला है। इसपर असर नहीं पड़नें की सबसे बड़ी वजह है ग्राहको द्दारा चैक या फिर फाइनेंस पर वाहन खरीदना। हां यहां इस बात का ध्यान जरुर देना होगा कि नोटबंदी का असर सेंकड़ हैंड गाड़ियों के बाजार पर जरुर पड़ा है। क्योंकि यहां ग्राहक नगद लेनदेन करता है। इसलिए सैकंड हैंड गाड़ियों के बाजार में जरुर इसका असर देखा जा सकता है।
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सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स का मानना है कि कुछ हफ़्तों बाद ये असर भी बाक़ी नहीं रहेगा। जानकारों का कहना है कि अभी लग्जरी कारों और ग्रामीण इलाकों में दो पहिया वाहनों के बाज़ार पर कुछ चोट पड़ी है लेकिन इस इसकी स्थिति इतनी भी खराबी नहीं है कि इससे उभरा ना जाए।
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