नई दिल्ली। वाहनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चा माल जैसे इस्पात, एल्युमीनियम, ताँबा आदि की कीमतों में जारी बढ़ोतरी के मद्देनजर आने वाले समय में देश में यात्री वाहनों के दाम चार से छह प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं। वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम के एक प्रस्तुतीकरण में कहा गया है कि पिछले छह महीने में यात्री वाहन उद्योग के लिए कच्चा माल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है और कीमतों का बढऩा अभी भी जारी है।
सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने कहा कि पिछले दस साल में वाहनों की कीमत उस हिसाब से नहीं बढ़ी है जिस रफ्तार से महँगाई बढ़ी है। कंपनियाँ जहाँ तक संभव होता है लागत में होने वाली वृद्धि का बोझ स्वयं वहन करने की कोशिश करती हैं, लेकिन एक सीमा के बाद मजबूरन उन्हें कीमतें बढ़ानी पड़ती हैं।
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प्रस्तुतीकरण में कहा गया है कि सितंबर 2016 से इस साल फरवरी के बीच एचआर स्टील के दाम 14.47 प्रतिशत, सीआर स्टील के 13.17 प्रतिशत और पिग आयरन के 13.32 प्रतिशत बढ़े हैं। इस दौरान वर्जिन एल्युमीनियम 16.34 प्रतिशत, ताँबा 25.95 प्रतिशत, सीसा 19.20 प्रतिशत, पॉली प्रोपायलीन 8.33 प्रतिशत, प्राकृतिक रबर 24.79 प्रतिशत और कार्बन ब्लैक 30.14 प्रतिशत महँगा हुआ है।
श्री माथुर रिपीट माथुर ने बताया कि पिछली तिमाही में भी कीमतों का बढऩा जारी रहा है और यदि यही रुख बना रहा तो आने वाले कुछ महीनों में कंपनियाँ कीमतें बढ़ाने को मजबूर हो सकती हैं।
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उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी में भी अधिकतर कंपनियों ने कारों और उपयोगी वाहनों के दाम बढ़ाये थे। देशभर में 01 जुलाई से लागू होने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में वाहनों के लिए दरें तय होने के बाद यह भी तय हो जायेगा कि कीमतों पर जीएसटी का कितना असर होता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि दरें तय करने का काम अप्रैल के अंत तक पूरा कर लिया जायेगा।- वार्ता
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